गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (गुजविप्रौवि), हिसार के कुलपति प्रो. नरसीराम ने कहा है कि सड़क सुरक्षा केवल सामाजिक मुद्दा ही नहीं है, बल्कि एक इंजीनियरिंग चुनौती भी है। गुजविप्रौवि इस चुनौती के प्रति गंभीर है और इस दिशा में अपना अग्रणी योगदान दे रहा है। प्रो. नरसीराम बुधवार को विश्वविद्यालय के सीविल इंजीनियरिंग विभाग के सौजन्य से ‘वर्तमान परिदृश्य में उपयोगकर्ताओं के लिए सड़क सुरक्षा हस्तक्षेप की भूमिका’ विषय पर शुरू हुई दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे।
कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रो. ज्ञानेंद्र सिंह मुख्यवक्ता रहे। अध्यक्षता विश्वविद्यालय सीविल लिए नई डिवाइस बनानी चाहिए। यह गुजविप्रौवि में सड़क सुरक्षा पर शुरू हुई वो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ करते मुख्यातिथि कुलपति प्रो. नरसीराम विश्नोई इंजीनियरिंग विभाग की अध्यक्षा प्रो. आशा गुप्ता ने की। विश्वविद्यालय के ट्रैफिक इंटरप्रिटेशन सेंटर के नोडल अधिकारी डा. नवदीप मोर कार्यशाला के समन्वयक हैं। प्रो. नरसीराम ने कहा कि सड़क हादसों में युद्धों से भी ज्यादा लोग मर रहे हैं। भारत में स्थिति और अधिक चुनौतीपूर्ण है। विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी बनती है कि इस दिशा में कार्य करें। सीविल इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं को सड़क सुरक्षा के कार्य न केवल समाज उपयोगी होगा, बल्कि राष्ट्र उपयोगी भी होगा।
उन्होंने विद्यार्थियों से अपने नियमित कोर्स के साथ-साथ अन्य रोजगारपरक तथा कौशल वृद्धि कोर्स करने की सलाह भी दी तथा विश्वविद्यालय में चल रहे रोजगारपरक कोसों के बारे में बताया। कुलपति ने युवाओं को यातायात के नियमों का कड़ाई से पालन करने का आह्वान किया। प्रो. विनोद छोकर ने कहा कि शहरीकरण और गतिशीलता तेजी से बढ़ने के कारण यातायात की चुनौतियां भी बढ़ रही हैं। सड़कें केवल स्थानों को जोड़ने वाले रास्ते नहीं हैं, बल्कि जीवन रेखाएं हैं जो लोगों को सामानों की आवाजाही को सक्षम बनाती हैं। सड़कों की वृद्धि के साथ-साथ यह जिम्मेदारी भी बढ़ती है कि हम सड़कों को उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षित करें।
उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला प्रतिभागियों के लिए अत्यंत उपयोगी होगी तथा लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण बदलावों का आधार बनेगी। मुख्यवक्ता डा. ज्ञानेंद्र ने सड़क दुर्घटनाओं के गंभीर मुद्दे पर चर्चा की तथा सॉफ्टवेयर के साथ भविष्यवाणी के साथ दुर्घटना का विश्लेषण किया। उन्होंने बताया कि यातायात दुर्घटना में हर तीन-चार मिनट में एक व्यक्ति की मृत्यु हो रही है। जो न केवल एक सामाजिक समस्या का कारण है, बल्कि समाज पर भारी वित्तीय बोझ भी डालता है।
उन्होंने सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए विभिन्न इंजीनियरिंग सुरक्षा उपायों के बारे में बताया तथा कहा कि विद्यार्थी इस मुद्दे पर सकारात्मक योगदान दे सकते हैं। सीविल इंजीनियरिंग के विद्याथीं अपने इंजीनियरिंग समाधानों में सड़क सुरक्षा सिद्धांतों को भी शामिल करें। प्रो. आशा गुप्ता ने बताया कि विश्वविद्यालय का इंजीनियरिंग विभाग सड़क सुरक्षा चुनौतियों के समाधान को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। विभाग सुरक्षित सड़क मार्ग डिजाइन करने, उन्नत यातायात प्रणाली लागू करने, जीवन बचाने तथा सुरक्षित वातावरण बनाने में योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि विभाग की ताकत व्यवाहरिक संसाधनों के साथ नवाचार को संयोजित करने की क्षमता में निहित है। समन्वयक डा. नवदीप मोर ने कार्यशाला के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विभाग के यातायात व्याख्यान द्वारा आयोजित की गई इस कार्यशाला में 120 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। विभाग के विद्यार्थी सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में अपने प्रोजेक्ट भी कर रहे हैं।