Hisar Lokhsabha Election 2024 : विकट परिस्थितियों से जूझते हुए और संघर्ष करते हुए इंसान सशक्त व समर्थ बन जाता है और निरंतर आगे बढ़ता जाता है। ऐसी स्थितियों के बीच जनता व समाज के हितों के लिए कार्य करने वाला इंसान जन-जन का प्रिय हो जाता है। चौधरी रणजीत सिंह चौटाला ने भी हर बाधा को पार करते हुए अलग मुकाम हासिल किया है। वे न केवल लोकप्रिय राजनेता हैं बल्कि जनता के बीच जननायक चौ. देवीलाल की भांति प्रिय नेता बन गए हैं।
संघर्षमय रहा बचपन
चौ. देवीलाल जी के घर 18 मई 1945 को गांव चौटाला में रणजीत सिंह का जन्म हुआ। उन्होंने सिरसा के गांव चौटाला में ही प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की। घर-परिवार में हमेशा देश हित व खेती- किसानी की बातें हुआ करती थी। उस दौर में खेती के लिए सीमित साधन हुआ करते थे और खेती बैलों व ऊंटों की सहायता से होती थी। चने निकालने के लिए खेत में एक साथ 50 ऊंट काम करते थे। गांव में पानी खारा होने के कारण जल के लिए भी मशक्कत करनी पड़ती थी। चार कोस दूर संगरिया गांव में ट्रेन आती थी, वहां से पानी गांव में लाया जाता था। इन सभी संघर्षों के बीच रणजीत सिंह का बचपन बीता।
बागवानी में की भरपूर सहायता
पानी के लिए जूझते हुए वर्ष 1960- 1964 में नहर का निर्माण हुआ और खेतों को नहरी पानी मिलना शुरू हुआ। चौ. देवीलाल जी को बागवानी का शौक था। उन्होंने चार ट्रैक्टर मंगवाए और जमीन को समतल करके माल्टा और किन्नू के बाग लगाए। उन्होंने अमेरिकन वॉशिंगटन नेवल की वैरायटी को लगाया। रणजीत सिंह जब भी छुट्टियों में घर आते तो बागवानी से संबंधित हर कार्य में रुचि लेते हुए भरपूर सहायता करते। माल्टा व किन्नू के बाग पूरे परिवार के लिए बड़े फलदायी साबित हुए। ये बाग आज भी परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा करते हैं। चौधरी देवीलाल जी के चुनावों में जो भी खर्च होता था वो इस बागवानी से ही उपलब्ध हो पाता था।
चौ. देवीलाल जी का रहा काफी प्रभाव
खेती-किसानी और स्वतंत्रता सेनानियों की पारिवारिक पृष्ठभूमि के चलते रणजीत सिंह का बचपन शहीदों व रणबांकुरों की गाथाएं सुनते हुए बीता। पिता चौ. देवीलाल जी व ताऊ स्वतंत्रता सेनानी साहिब राम सिहाग जी का रणजीत सिंह पर काफी प्रभाव रहा। चौ. देवीलाल जी शुरू से ही गरीबों, कमेरों व किसानों के हितों के पक्षधर रहे। चौ. देवीलाल जी के घर के दरवाजे हमेशा जनता की सहायता के लिए खुले रहते थे। पिता चौ. देवीलाल जी के व्यक्तित्व व कृतित्व को देखकर रणजीत सिंह भी शुरू से सामाजिक सरोकारों से जुड़ गए।
राजनीति में सक्रिय होने की मिली प्रेरणा
रणजीत सिंह जब चंडीगढ़ में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे, उसी दौरान हरियाणा को अलग राज्य बनाने का आंदोलन चरम सीमा पर था। इस आंदोलन को देखकर रणजीत सिंह को राजनीति में सक्रिय होने की प्रेरणा मिली। शिक्षित होने के कारण चौ. देवीलाल जी के कार्यों से संबंधित लिखने-पढ़ने का काम रणजीत सिंह को मिल गया। यहां रणजीत सिंह को काफी कुछ सीखने को मिला। स्नातक उपाधि प्राप्त करने के बाद रणजीत सिंह ने बठिंडा और फरीदाबाद में व्यापार में भी हाथ आजमाए। ग्रामीण पृष्ठभूमि के चलते अनुभव की कमी के कारण व्यापार में रणजीत सिंह को काफी संघर्ष करना पड़ा। मेहनत व तत्परता के चलते रणजीत सिंह ने हार नहीं मानी और व्यापार में सफल होकर दिखाया।
राजनीतिक अनुभव का मिला फायदा
वर्ष 1986-87 में चौ. देवीलाल जी के न्याय युद्ध के दौरान रणजीत सिंह को देशभर के विभिन्न छोटे-बड़े नेताओं से मुलाकात का अवसर मिला। इससे रणजीत सिंह को भरपूर राजनैतिक अनुभव मिला। रणजीत सिंह को गांव स्तर के कार्यकर्ताओं व हरियाणा के बुद्धिजीवियों से भी विचार-विमर्श का मौका मिला। 1987 में हेमवंती नंदन बहुगुणा जी से मुलाकात के दौरान चौ. देवीलाल जी ने रणजीत सिंह को हरियाणा की राजनैतिक स्थिति का लेखा-जोखा बनाने का दायित्व सौंपा। रणजीत सिंह द्वारा बनाई गई रिपोर्ट को पढ़कर हेमवंती नंदन बहुगुणा ने चौ.देवीलाल को सलाह दी कि रणजीत सिंह को विधानसभा का चुनाव लड़वाओ। आपको काफी मदद मिलेगी।
किसानों को आगे बढ़ाने का मार्गकिया प्रशस्त
चौ. रणजीत सिंह ने वर्ष 1987 में चुनाव लड़ा और विजयी हुए। उन्हें कैबिनेट कृषि मंत्री बनने का अवसर मिला। चौ. रणजीत सिंह के कृषि मंत्री रहते हरियाणा में किसानों को बागवानी के लिए प्रोत्साहित किया गया। इस दौरान हजारों एकड़ में बागवानी शुरू हुई और किसानों को माल्टा, किन्नू, अमरूद, अंगूर व आड़ू की खेती के लिए सरकारी सब्सिडी दी गई। विभिन्न स्थानों पर कृषि मेले लगाकर खेती को बढ़ावा दिया गया। प्रगतिशील किसानों के बीच प्रतिस्पर्धाएं करवाकर 10-10 हजार रुपये का इनाम देकर सम्मानित किया गया। चौ. रणजीत सिंह ने कृषि विज्ञान केंद्रों के दौरे करके उन्नत खेती को समझा और किसानों के लिए विशेष पॉलिसी बनाई। इस योजना के तहत हरियाणा के किसानों को विदेश भेजकर उन्हें नई उन्नत तरीकों की खेती का प्रशिक्षण दिलवाया गया
चौ. रणजीत सिंह की कार्यशैली ने नरेंद्र मोदी जी को किया प्रभावित
वर्ष 1990 में चौ. रणजीत सिंह हरियाणा से राज्यसभा सांसद चुने गएl 2005- 2009 तक वे राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रहे। उस समय श्री नरेंद्र मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और गुजरात प्लानिंग कमीशन के अध्यक्ष थे। उसी दौरान चौ. रणजीत सिंह की नरेंद्र मोदी जी से मुलाकात हुई। कई विषयों पर विचार-विमर्श करने का अवसर मिला। नरेंद्र मोदी जी रणजीत सिंह की कार्यशैली देखकर प्रभावित होते थे। चौ. रणजीत सिंह के प्रयासों से हरियाणा का काफी क्षेत्र एनसीआर में शामिल किया गया। इस प्रयास से केंद्र सरकार से विकास के लिए काफी पैसा मिला। देखा जाए तो चौ. रणजीत सिंह को जब भी अवसर मिला उन्होंने राज्य के विकास में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। वर्ष 2019 में निर्दलीय चुनाव लड़कर रणजीत सिंह विजयी हुए। कार्यशैली, तत्परता व सामाजिक दृष्टिकोण के चलते चौ. रणजीत सिंह को हरियाणा सरकार में मंत्री बनाया गया। मुख्यमंत्री बदले तो एक बार फिर मंत्री बनने का अवसर मिला। चौ. रणजीत सिंह ने बिजली मंत्री रहते हुए 24 घंटेबिजली उपलब्ध करवाने का सराहनीय कार्य किया।
बहुआयामी व्यक्तित्व के कारण चौ. रणजीत सिंह बने प्रिय नेता
अमेरिका के राष्ट्रपति इब्राहिम लिंकन जी व चौधरी देवीलाल जी को अपना प्रेरणा स्रोत मानने वाले चौ. रणजीत सिंह को अपने राजनैतिक सफर में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। बहुत उतार-चढ़ाव देखे और नकारात्मक सोच का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने इब्राहिम लिंकन जी व चौ. देवीलाल जी की भांति कभी हार नहीं मानी और हरियाणा को प्रगति को पथ पर अग्रसर करने के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहे। वास्तव में मदुभाषी चौ. रणजीत सिंह में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी जैसा सरल स्वभाव, बाबा साहेब भीमराव
अंबेडकर जी जैसी इच्छाशक्ति, इब्राहिम लिंकन जैसा समर्पण भाव और चौधरी देवीलाल जी की भांति समाज के प्रति तत्परता का सामंजस्य दिखाई देता है। बहुआयामी व्यक्तित्व के कारण चौ. रणजीत सिंह सही मायने में जनजन के प्रिय नेता हैं। जय हिंद ।