प्रभु श्रीराम की महिमा अपरम्पार है।
श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। वे पिता की आज्ञा को शिरोधार्य मानते हैं और भक्तों के लिए सर्वस्व लुटाने के लिए तत्पर रहते हैं। जहां वे दशानन रावण के संहारक हैं, वहीं माता शबरी के उद्धारक भी हैं। जब समुंद्र लांघने के लिए श्रीराम लिखे हुए पत्थर पानी में डाले गए तो वे तैरने लगे और देखते ही देखते लंका तक सेतु तैयार हो गया। यही है प्रभु श्रीराम की लीला।
अयोध्या नगरी में श्रीरामलला मंदिर की स्थापना के बाद लगातार श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को विशेष प्रयास करने पड़ रहे हैं। दरअसल मंदिर में श्रीराम का बाल स्वरूप देखकर हर कोई अभिभूत हो जाता है। बसों से, रेलगाड़ी से या निजी वाहन से भक्तगण अयोध्या में पहुंच रहे हैं। वहां चरण रज को अपने मस्तक पर लगाकर और जय श्रीराम का उद्घोष करते हुए श्रीरामलला के मंदिर में प्रवेश करते हैं।
ऐसा अद्भुत नज़ारा, ऐसी आस्था, ऐसा समर्पण भाव, शायद ही कहीं और देखने को मिले। इसलिए सभी मिलकर कहते हैं… जय श्रीराम। जय श्रीराम।