चंडीगढ़ प्रशासन ने केंद्र शासित प्रदेश में श्री गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस के अवसर पर 6 दिसंबर 2024 शुक्रवार को अवकाश घोषित किया है। अधिसूचना के मुताबिक, यह अवकाश औद्योगिक प्रतिष्ठानों सहित चंडीगढ़ प्रशासन के सभी सरकारी कार्यालयों, बोडों, निगमों और संस्थानों में लागू होगा।
पहले यह अवकाश 24 नवंबर 2024 को घोषित किया गया था, लेकिन अब इसे बदलकर 6 दिसंबर 2024 कर दिया गया है। श्री गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में इस विशेष अवकाश को चंडीगढ़ प्रशासन ने महत्व देते हुए संशोधित किया है। इससे सरकारी कर्मचारियों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों से जुड़े लोगों को इस दिन को विशेष रूप से मनाने का अवसर मिलेगा। गुरु तेग बहादुर जीः बलिदान और धर्म की रक्षा का इतिहास गुरु तेग बहादुर जी सिख धर्म के नौवें गुरु थे, जिन्हें उनकी साहस, त्याग और धर्म की रक्षा के लिए याद किया जाता है। उनका जन्म 1 अप्रैल 1621 को पंजाब के अमृतसर में गुरु हरगोबिंद जी और माता नानकी के घर हुआ।
उनका मूल नाम ‘त्याग मल’ था, लेकिन उनके साहसिक कार्यों और अद्वितीय बलिदान के कारण उन्हें ‘तेग बहादुर’ की उपाधि दी गई, जिसका अर्थ है ‘तेज तलवार के धनी।’ गुरु तेग बहादुर जी धर्म और मानवता की रक्षा के लिए प्रयास गुरु तेग बहादुर जी ने अपने जीवन को मानवता, धार्मिक स्वतंत्रता और अन्याय के खिलाफ संघर्ष के लिए समर्पित किया। जब मुगल शासक औरंगजेब ने हिंदू धर्म को समाप्त करने और जबरन धर्मांतरण का अभियान शुरू किया, तो गुरु जी ने इन अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई। 1675 में, कश्मीरी पंडितों ने गुरु जी से सहायता की अपील की, क्योंकि उन्हें जबरन इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर किया जा रहा था।
गुरु जी ने उनकी रक्षा का बीड़ा उठाया और मुगल सम्राट औरंगजेब के सामने खड़े हुए। दिल्ली में शहादत गुरु जी को गिरफ्तार कर दिल्ली लाया गया और वहां धर्म परिवर्तन का दबाव डाला गया। लेकिन उन्होंने अपने सिद्धांतों और धर्म के लिए समझौता नहीं किया। अंततः 24 नवंबर 1675 को, उन्हें चांदनी चौक में शहीद कर दिया गया। उनकी शहादत ने न केवल सिख धर्म बल्कि पूरे समाज को धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के लिए खड़े होने का संदेश दिया। प्रमुख शिक्षाएं और योगदान 1. ने सभी धर्मों के पालन की धार्मिक स्वतंत्रताः गुरु जी स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन न्योछावर किया। साहस और बलिदानः उन्होंने 2. दिखाया कि धर्म और सत्य के लिए खड़ा होना सबसे बड़ी सेवा है। 3. आनंदपुर साहिबः गुरु तेग जी ने आनंदपुर साहिब को सिख धर्म का प्रमुख केंद्र बनाया। ग्रंथ साहिब में योगदानः गुरु 4 जी ने सिखों के धार्मिक ग्रंथ, श्री गुरु ग्रंथ साहिब, में 115 शब्दों का योगदान दिया। गुरुद्वारा शीश गंज साहिब : जहां गुरु जी ने शहादत दी, उस स्थान पर गुरुद्वारा शीश गंज साहिब बना हुआ है।
यह स्थान उनको त्याग और बलिदान की गवाही देता है। गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान सिर्फ सिख धर्म के लिए नहीं, बल्कि समस्त मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनका जीवन सत्य, साहस और त्याग का प्रतीक है, जो आज भी सभी को प्रेरित करता है।