आदमपुर के विधायक व सेवानिवृत्त आईएएस चंद्रप्रकाश ने हरियाणा विधानसभा में आदमपुर हलके की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया और विकास कार्य करवाने की मांग रखी। उन्होंने राज्यपाल के अभिभाषण के बाद सरकार की उपलब्धियों पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि प्रदेश में जैसे विकास की बात की जा रही है, वास्तविक स्थिति उससे बिल्कुल अलग है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सुदृढ़ कानून व्यवस्था का दावा किया जा रहा है
इतना ही नहीं ग्रामीण व शहरी विकास, रोजगार व अनुसूचित व पिछड़े वर्ग के हितों के दावे भी खोखले हैं। विधायक चंद्रप्रकाश ने कहा कि सरकार द्वारा हरियाणा में जितना अच्छा माहौल दर्शाया जा रहा है, वैसा बिल्कुल भी नहीं है। उन्होंने कहा कि आदमपुर हलके में समस्याओं की भरमार है।
आदमपुर में लाइन पार क्षेत्र के लोग तो पानी की किल्लत से बुरी तरह जूझ रहे हैं। इसी भांति सीवरेज व्यवस्था ठप्प है। स्ट्रीट लाइट बंद पड़े हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि इन समस्याओं का तुरंत समाधान करके जनता को राहत प्रदान की जाए। चंद्रप्रकाश ने कहा कि हिसार-बगला रोड एवं अग्रोहा-आदमपुर रोड की हालत भी खस्ता है। इन रोड पर काम शुरू हुआ लेकिन फिर अधर में लटक गया। इसलिए इन रोड व अन्य सडक़ों का तुरंत निर्माण किया जाना चाहिए।
चंद्रप्रकाश ने स्वास्थ्य समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आदमपुर में उपमंडल नागरिक अस्पताल की स्थिति भी अच्छी नहीं है। यहां पर न तो जनरेटर व अल्ट्रासाउंड मशीन है और न ही अन्य स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं की कोई समुचित व्यवस्था है। उन्होंने बताया कि इसलिए आदमपुरवासियों को इलाज के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों में जाना पड़ता है।
रात के समय तो स्थिति और भी विकट हो जाती है। इसलिए उपमंडल नागरिक अस्पताल, सीएससी व पीएससी में स्टाफ व अन्य सुविधाओं की समुचित व्यवस्था तुरंत प्रभाव से करना सरकार का दायित्व है। सेवानिवृत्त आईएएस चंद्रप्रकाश ने नौकरियां देने के दावों पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि पिछड़े वर्ग को नौकरियां देने की वास्तविक स्थिति क्या है। उन्होंने कहा कि अभिभाषण के अनुसार क्रीमी लेयर की वार्षिक सीमा 6 लाख से बढ़ाकर 8 लाख की गई है।
वर्तमान मूल्य सूचकांक के अनुसार यह सीमा 10 लाख से ऊपर होनी चाहिए। एचकेआरएन के तहत लगे 1.20 लाख कर्मचारियों को रोजगार गारंटी की बात कही है। सरकार यह बताए कि इन कर्मचारियों में आरक्षण का लाभ कितने लोगों को मिला है। यदि इनको आरक्षण नहीं दिया तो कैसे आरक्षण प्रदान किया जाएगा।
उन्होंने बीड़ के पांच गांवों को मालिकाना हक देने का मुद्दा भी जोर-शोर से उठाया। उन्होंने कहा कि इन गांवों को हर हाल में उनका हक मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि बालसमंद गांव राजस्थान का सीमावर्ती गांव है और टेल पर है। यहां पर नहरी पानी के नालों की स्थिति दयनीय है। इसलिए सरकार को इस दिशा में गंभीरता से कदम उठाते हुए किसानों के लिए समुचित व्यवस्था करनी चाहिए। उन्होंने किसानों को डीएपी खाद न मिलने की समस्या को उठाया और अनाज खरीद में आने वाली समस्याओं को भी उजागर किया।