सीसीएस हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी. आर. काम्बोज ने कहा है कि हमें ऐसे भारत की परिकल्पना करनी है जो ज्ञान की दृष्टि से सर्वोपरि हो तथा नागरिकों को खाद्य सुरक्षा मुहैया कराने के साथ-साथ प्रकृति का संरक्षण भी करे। विज्ञान उत्सव हिसार से ही यह संभव बनाया जा सकता है। प्रो. बी.आर. काम्बोज गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार (गुजविप्रीवि) में आयोजित हुए विज्ञान उत्सव के समापन समारोह को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे।
गुजविप्रौवि के कुलपति प्रो. नरसी राम विश्नोई इस समारोह में बतौर मुख्य संरक्षक उपस्थित रहे। प्रो. बी. आर. काम्बोज ने अपने संबोधन में कहा कि विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न करने की जिम्मेदारी देश के शिक्षकों की है। शिक्षकों को चाहिए कि वे अपने विद्यार्थियों के सृजनात्मक कौशल की पहचान करें तथा उस कौशल को बढ़ाने के लिए कार्य करें। उन्होंने कहा कि यह उत्सव निश्चित तौर पर विज्ञान व तकनीक को समाज के हर कोने तक पहुंचाने का कार्य करेगा।
साथ ही उन्होंने कहा कि भविष्य की चुनौतियों के लिए देश के विश्वविद्यालयों को भी आपस में मिलकर कार्य करना होगा। कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा है कि भारत में विज्ञान की समृद्ध परम्परा है। भारतीय वैज्ञानिकों ने दुनिया को विज्ञान, तकनीक एवं नवाचार के क्षेत्र में प्राचीन काल से ही राह दिखाई है। उन्होंने आर्यभट्ट, सीवी रमन, मैरी क्यूरी तथा डा. अब्दुल कलाम जैसे महान वैज्ञानिकों का जिक्र करते हुए विद्यार्थियों को बताया कि इन वैज्ञानिकों ने संघर्षों और चुनौतियों का सामना करते हुए विज्ञान की नई खोजों के माध्यम से समाज व राष्ट्र के निर्माण में अपना सर्वोच्च योगदान दिया है।
विज्ञान केवल दुनिया को समझने के बारे में ही नहीं यह विकास की नींव है और सामाजिक परिवर्तन की प्रेरक शक्ति भी है। चाहे अक्षय ऊर्जा हो, कृत्रिम बुद्धिमत्ता हो, जैव प्रौद्योगिकी हो या अंतरिक्ष अन्वेषण हो, विज्ञान में असीम संभावनाएं हैं। इस विज्ञान उत्सव ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत के युवा कंधे देश की महान वैज्ञानिक परम्परा को और तेजी से आगे बढ़ाएंगे, जिसके बल पर हम विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे।