सर्वेश हेल्थ सिटी ने डीएन कॉलेज रोड स्थित आई बर्ड इंटरनेशनल स्कूल में बच्चों एवं उनके अभिभावकों के लिए हेल्थ चेकअप कैंप का आयोजन किया | इस मौके पर सर्वेश हेल्थ सिटी से नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ मनु सिद्धार्थ एवं एंडोडोंटिस्ट डॉ गुंजन ग्रोवर ने अपनी सेवाएं दी |
आई बर्ड इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल श्वेता गोयल एवं डायरेक्टर सौरव गोयल ने बताया कि सर्वेश हेल्थ सिटी हिसार एवं आसपास के क्षेत्र के लोगों के लिए एक वरदान की तरह है पहले लोगों को इलाज के लिए दिल्ली एवं एनसीआर के अस्पतालों में जाना पड़ता था पर अब वह सभी सुविधाएं सर्वेश हेल्थ सिटी ने हिसार में ही उपलब्ध करवा दी है | यह इस क्षेत्र का सभी सुविधाओं एवं एडवांस टेक्नोलॉजी से सुसज्जित सबसे बड़ा अस्पताल है | हमारे आग्रह पर अस्पताल से डॉक्टर अपनी सेवाएं देने के लिए यहां पर आए इसके लिए हम उनका धन्यवाद करते हैं |
कैंप के दौरान 250 से ज्यादा बच्चों एवं अभिभावकों के स्वास्थ्य की जांच की गई | सर्वेश हेल्थ सिटी से एंडोडोंटिस्ट डॉक्टर गुंजन ग्रोवर ने बताया कि जंक फूड जितना बच्चों की हेल्थ के लिए नुकसानदायक हैं उतना ही उनकी ओरल हेल्थ के लिए भी हैं। बच्चे अगर रोजाना जंक फूड का सेवन कर रहे हैं तो दांतों में पीलापन और मसूड़ों में सूजन जैसी प्रॉब्लम हो सकती है। ज्यादा आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक पीने से भी बच्चों की ओरल हेल्थ पर असर पड़ता है। इससे दांतों में दर्ज, तेज झनझनाहट महसूस होने जैसी कई परेशानियां होती हैं। हालांकि ज्यादातर पैरेंट्स इस बात को समझ नहीं पाते हैं कि आखिरकार वो कैसे बच्चों की ओरल केयर करें इसके लिए डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है बच्चों की ओरल हेल्थ का ध्यान रखने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि उन्हें ब्रश करने की आदत डलवाएं,
खाना खाने या कुछ भी खाने के बाद बच्चों में कुल्ला करने की आदत डालें। ऐसा करने से कैविटी की समस्या नहीं होगी।
बच्चों की ओरल हेल्थ हमेशा अच्छी बने रहे इसके लिए पर्याप्त मात्रा में उन्हें पानी पीने की आदत डालें।
सर्वेश हेल्थ सिटी से बाल रोग विशेषज्ञ डॉ मनु सिद्धार्थ ने बताया बच्चों के लिए ऐसी डाइट रखी जाए, जिसमें कैल्शियम और प्रोटीन के अलावा कैलोरीज भी हों , ज्यादातर बच्चे खाने के मामले में चूजी होते हैं। इसलिए उनके लिए ऐसा डाइट चार्ट होना चाहिए जो हेल्दी होने के साथ टेस्टी भी हो। 4 से 5 साल की उम्र में बच्चा ऊर्जा से भरपूर रहता है, ऐसे में इस बात का ख्याल रखा जाए कि उसे खाने में ऐसे पोषक तत्व मिलते रहें, जो उसके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जरूरी हों। छोटे बच्चों को खाना खिलाना इतना आसान नहीं है, उनके नखरे इतने होते हैं कि मांएं कंफ्यूज हो जाती हैं कि क्या बनाएं और क्या नहीं | दूध,कोई भी मौसमी फल जैसे सेब, पपीता केला आदि,चीज और पनीर,घी-दूध,नट्स में बादाम, मुनक्के, अंजीर, डेट्स और अखरोट दे | बच्चे हों या बड़े, सभी के लिए ओवर ईटिंग उचित नहीं होती है।बच्चों की हर मील के बीच कम से कम 3 से 5 घंटे का अंतराल होना चाहिए |