देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर महीने के आखिरी रविवार को मन की बात के जरिए देशवासियों को संबोधित करते हैं। लेकिन इस बार 26 जनवरी की वजह से इसे पहले प्रसारित किया गया। इस दौरान पीएम मोदी ने मन की बात के जरिए लोकतंत्र और महाकुंभ पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि कुंभ में किसी भी तरह का कोई भेदभाव नहीं है “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘मन की बात’ में लोकतंत्र, महाकुंभ और ISRO पर चर्चा करते हुए।”
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार 19 जनवरी को देशवासियों को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने संविधान, मुहाकुंभ मेला और इसरो के नए प्रोजेक्ट स्पेस डॉकिंग समेत कई मुद्दों पर चर्चा की। अपने मन की बात में शुरुआत में उन्होंने कहा कि गों ने एक बात नोटिस की होगी कि हर बार मन की बात महीने की आखिरी रविवार को होती है, लेकिन इस बार हम एक सप्ताह पहले चौथे रविवार के बजाय तीसरे रविवार को ही मिल रहे हैं। इसकी वजह ये है कि अगले सप्ताह रविवार के दिन ही गणतंत्र दिवस है, मैं सभी देशवासियों को गणतंत्र दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं देता हूं। इस बार का ‘गणतंत्र दिवस’ बहुत विशेष है।
ये भारतीय गणतंत्र की 75वीं वर्षगांठ है। इस वर्ष संविधान लागू होने के 75 साल हो रहे हैं। मैं संविधान सभा के उन सभी महान व्यक्तित्वों को नमन करता हूं, जिन्होंने हमें हमारा पवित्र संविधान दिया। बता दें कि मन की बात’ कार्यक्रम 22 भारतीय भाषाओं और 29 बोलियों के अलावा फ्रेंच, चीनी, इंडोनेशियाई, तिब्बती, बर्मी, बलूची, अरबी, पश्तू, फारसी सहित 11 विदेशी भाषाओं में प्रसारित किया जाता है। मन की बात 25 जनवरी को है राष्ट्रीय मतदाता दिवस गणतंत्र दिवस’ से एक दिन पहले 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस है। ये दिन इसलिए अहम है, क्योंकि इस दिन ‘भारतीय निर्वाचन आयोग’ की स्थापना हुई थी।
हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान में हमारे चुनाव आयोग को, लोकतंत्र में लोगों की भा गीदारी को, बहुत बड़ा स्थान दिया है। भारत लोकतंत्र की मां है। चुनाव आयोग ने लोकतंत्र को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है। इसके लिए मैं चुनाव आयोग को बधाई देता हूं। महाकुंभ मेला दिव्य और अलौकिक है: पीएम मोदी ने कहा कि महाकुंभ का उत्सव विविधता में एकता का उत्सव है। कुंभ की परंपरा भारत को एक सूत्र में बांधती है। यहां कोई भेदभाव नहीं है। हर कोई एक साथ बैठकर भोजन करते हैं। स्नान करते हैं। संगम की रेती पर पूरे भारत के, पूरे विश्व के लोग जुटते हैं। हजारों वर्षों से चली आ रही इस परंपरा में कहीं भी कोई भेदभाव नहीं, जातिवाद नहीं।
‘कुंभ’, ‘पुष्करम’ और ‘गंगा सागर मेला’ हमारे ये पर्व, हमारे सामाजिक मेल जोल को, सद्भाव को, एकता को बढ़ाने वाले पर्व हैं। उन्होंने कहा कि गंगासागर मेला सद्भाव, एकता को बढ़ाता है। कुंभ का आयोजन हमें ये भी बताता है कि कैसे हमारी परम्पराएं पूरे भारत को एक सूत्र में बांधती हैं। उत्तर से दक्षिण तक मान्यताओं को मानने के तरीके एक जैसे ही हैं। एक तरफ प्रयागराज, उज्जैन, नासिक और हरिद्वार में कुंभ का आयोजन होता है, वैसे ही दक्षिण भू- भाग में गोदावरी, कृष्णा, नर्मदा और कावेरी नदी के तटों पर पुष्करम होते हैं। पीएम मोदी ने इसरो को दी बधाई : साल 2025 की शुरुआत में ही भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं।
आज मुझे ये बताते हुए गर्व है कि एक भारतीय स्पेसटेक स्टार्टअप बेंगलुरू के पिक्सेल ने भारत का पहला निजी सैटेलाइट कांस्टेलेशन-फायर-फ्लाई, सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। ये सफलता हमारे निजी स्पेस सेक्टर की बढ़ती ताकत और इनोवेशन का प्रतीक है। मैं इस उपलब्धि के लिए पिक्सेल की टीम, इसरो, और इन-स्पेस को पूरे देश की ओर से बधाई देता हूं। टियर-2 और टियर-3 शहरों के स्टार्टअप ने कर दिया कमाल: पीएम मोदी ने कहा कि कुछ दिन पहले ही स्टार्टअप इंडिया के 9 साल पूरे हुए हैं। हमारे देश में जितने स्टार्टअप्स 9 साल में बने हैं। उनमें से आधे से ज्यादा टियर 2 और टियर 3 शहरों से हैं। जब यह सुनते हैं तो हर हिन्दुस्तानी का दिल खुश हो जाता है। कहने का मतलब ये हुआ कि हमारा स्टार्टअप कल्चर बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है।