इसरो ने फाल्कन 9 रॉकेट से GSAT-2 सैटेलाइट किया सफलतापूर्वक लॉन्च
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक और बड़ा कदम उठाते हुए 18 नवंबर की मध्यरात्रि को फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए GSAT-N2 सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इस सैटेलाइट का वजन 4700 किलोग्राम है और इसे 14 वर्षों के मिशन के लिए डिजाइन किया गया है।
लॉन्च की खास बातें:
- यह सैटेलाइट भारत के दूरदराज के क्षेत्रों में हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड और डिजिटल वीडियो-ऑडियो सेवाएं प्रदान करेगा।
- इसके जरिए हवाई यात्राओं के दौरान भी इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
- GSAT-N2 का संचालन इसरो के हासन ग्राउंड स्टेशन से किया जाएगा।
अमेरिकी लॉन्च वाहन का दूसरा उपयोग:
यह दूसरी बार है जब इसरो ने अमेरिकी प्रक्षेपण यान का इस्तेमाल किया है। इससे पहले 1990 में INSAT-1D को भी अमेरिकी लॉन्च वाहन से अंतरिक्ष में भेजा गया था।
भारत के अंतरिक्ष मिशन को नई ऊंचाई:
भारत के पास अभी 4 टन से अधिक वजनी सैटेलाइट को लॉन्च करने की क्षमता नहीं है। ऐसे में फाल्कन 9 जैसे अंतरराष्ट्रीय लॉन्च वाहनों का सहारा लिया जाता है।
- फाल्कन 9 रॉकेट की सफलता दर 99% है।
- यह 8300 किलोग्राम तक का पेलोड जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट में और 22,800 किलोग्राम तक का पेलोड लोअर ऑर्बिट में ले जाने में सक्षम है।
GSAT-N2 की विशेषताएं:
GSAT-N2 को खासतौर पर भारत के अंडमान-निकोबार, जम्मू-कश्मीर और लक्षद्वीप जैसे दूरदराज के क्षेत्रों में संचार सेवाएं प्रदान करने के लिए बनाया गया है।
- यह 48Gbps हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड सेवाएं उपलब्ध कराएगा।
- डिजिटल ट्रांसमिशन और मोबाइल कनेक्टिविटी में सुधार करेगा।
- इससे भारत के डिजिटल कनेक्टिविटी मिशन को बड़ी मजबूती मिलेगी।
फाल्कन 9 रॉकेट: एक शक्तिशाली और दोबारा उपयोगी लॉन्च वाहन:
- फाल्कन 9 की लंबाई 70 मीटर और वजन 549 टन है।
- अब तक फाल्कन 9 के 396 सफल लॉन्च हो चुके हैं।
- यह अपनी दोहरे उपयोग की क्षमता और विश्वसनीयता के लिए प्रसिद्ध है।
भारत के अंतरिक्ष प्रयासों में एक और उपलब्धि:
फाल्कन 9 रॉकेट की मदद से GSAT-N2 का सफल प्रक्षेपण इसरो के लिए एक और बड़ी उपलब्धि है। यह लॉन्च भारत के अंतरिक्ष मिशन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में सहायक साबित होगा।