गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (गुजविप्रौवि) हिसार के 30वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य पर सोमवार को विश्वविद्यालय के चौ. रणबीर सिंह सभागार में एक समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में कुलपति प्रो. नरसीराम बिश्नोई मुख्यातिथि के रूप में उपस्थित रहे। स्वदेशी शोध संस्थान नई दिल्ली के मानक सलाहकार डा. सुरेश गुप्ता तथा विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर विशिष्ट अतिथि विशिष्ट अतिथि रहे।
आईक्यूएसी के सौजन्य से हुए इस आयोजन में डीन अकेडमिक अफेयर्ज प्रो. योगेश छाबा तथा आईक्यूएसी निदेशक प्रो. आशीष अग्रवाल भी मंच पर उपस्थित रहे। प्रो. नरसीराम ने अपने संबोधन में कहा कि यह दिवस केवल इस महान विश्वविद्यालय के गुजरे 29 वर्षों की यात्रा का पैमाना नहीं है, बल्कि विश्वविद्यालय के हितधारकों की कड़ी मेहनत, उपलब्धियों और समर्पण का प्रतिबिम्ब भी है। गुरू जंभेश्वर जी महाराज के प्रकृति संरक्षण तथा मानवीय संवेदनाओं के सिद्धांतों से प्रेरित होकर चल रहा यह विश्वविद्यालय शिक्षा, शोधव नवाचार के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय पहचान बना रहा है।
उन्होंने बताया कि 1995 में एक टीचिंग ब्लॉक से आरंभ हुए इस विश्वविद्यालय में अब दस टीचिंग ब्लॉक, दस हॉस्टल, उत्तर भारत की सबसे उन्नत डा. एपीजे अब्दूल कलाम लैब तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर की अन्य अधिकतर सुविधाएं हैं। केवल बीते एक साल में विश्वविद्यालय का ’एच’ इन्डेक्स 117 से 126 तथा साइटेशन 80 हजार से बढ़कर एक लाख पार कर चुका है। डिजिटलाइजेशन में विश्वविद्यालय ने भी खास प्रगति की है। बीते एक वर्ष नौ नए विभाग तथा 18 नए नियमित कोर्स आरंभ किए गए हैं। दुरस्थ तथा ऑनलाइन माध्यम् से पढ़ाए जाने वाले कोर्सों की संख्या नौ से बढ़कर 22 हो गई है। कुलपति ने विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय तथा अंतराष्ट्रीय रैंकिंग का जिक्र करते हुए शिक्षकों को और अधिक गुणवत्ता परक शोध व पेटेंट के लिए प्रेरित किया तथा कहा कि विश्वविद्यालय की इस महान यात्रा में शिक्षकों, गैरशिक्षक कर्मचारियों, शोधार्थियों तथा विद्यार्थियों सबका योगदान है।
डा. सुरेश गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि इस विश्वविद्यालय में हरियाणा के किसी भी विश्वविद्यालय से अधिक संभावनाएं व क्षमताएं हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में 65 करोड़ युवा हैं जो इस देश की सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने विश्वविद्यालय में आईपीआर, एमएसएमई तथा
इन्क्यूबेशन के क्षेत्र और अधिक कार्य करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने इस अवसर पर स्वदेशी शोध संस्थान के क्रियाकलापों के बारे मंे
विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि विश्वविद्यालय तथा संस्थान के बीच हुए एमओयू के बाद अब दोनों संस्थान शोध व शिक्षण के क्षेत्र में
मिलकर कार्य करेंगे। कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर ने इस अवसर पर कहा कि 29 वर्षों की अपनी विकास यात्रा में यह विश्वविद्यालय शोध,
इन्क्यूबेशन, स्टार्ट अप तथा नवाचार का हब बनकर उभरा है। अब हमें आगे एआई तथा अन्य नवीनतम तकनीकों को प्रयोग करते हुए नई
ऊंचाइयों को छूना है। गुरू जंभेश्वर जी महाराज की शिक्षाएं हमारे सिद्धांत हैं।
प्रो. योगेश छाबा ने अपने स्वागत संबोधन में विश्वविद्यालय की श्रेष्ठ शैक्षणिक उपलब्धियों को जिक्र किया। धन्यवाद संबोधन प्रो. आशीष अग्रवाल ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को रेखाकिंत करने वाली एक पुस्तिका ’रिफलैक्शन’ का विमोचन भी किया गया। एक वृतचित्र दिखाया गया। विभागों की उपलब्धियों तथा साइटेशन आदि को प्रदर्शित करते एक प्रदर्शनी लगाई साथ ही देश के प्रतिष्ठित पब्लिसर्ज द्वारा विश्वविद्यालय के डा. भीमराम अंबेडकर पुस्तकालय के सौजन्य से एक पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया। मंच संचालन डा. गीतू धवन तथा डा. पल्लवी ने किया। नौ श्रेणियों में दिया गया सम्मान स्थापना दिवस के उपलक्ष्य पर विश्वविद्यालय के लिए विशेष योगदान देने वाले शिक्षकों व शोधार्थियों को सम्मानित किया गया। विश्व के श्रेष्ठ दो प्रतिशत वैज्ञानिकों में स्थान पाने के लिए कुलपति प्रो. नरसीराम बिश्नोई, प्रो. नीरज दिलबागी, प्रो. दिनेश धींगड़ा, प्रो. जयादेवी, प्रो. महेश कुमार, प्रो. अश्वनी कुमार, प्रो. कश्मीरी लाल तथा डा. नवनिधि छिक्कारा को सम्मान पत्र दिए गए।
एक कैलेंडर वर्ष में दस से अधिक स्कोप्स पब्लिकेशन श्रेणी में प्रो. जयादेवी, प्रो. कश्मीरी लाल, प्रो, देवेंद्र मोहन, प्रो, नीरज दिलबागी, प्रो, अश्वनी कुमार, प्रो. रमेश कुमार, प्रो. महेश कुमार तथा प्रो. कपिल कुमार तथा पेटेंट कॉपीराइट श्रेणी में प्रो. जेबी दहिया व सुभा तथा प्रो. नमिता सिंह, अनिता देवी तथा राजनीश जारयल को सम्मानित किया गया। रिसर्च प्रोजैक्ट श्रेणी में प्रो. नीरज दिलबागी तथा प्रो. विकास
वर्मा व प्रो. अश्वनी कुमार को, पोस्ट डॉक्टरल फैलोशिप श्रेणी में डा. नीरज दिलबागी तथा गौरव भन्जाना तथा प्रो. नीरज दिलबागी को, स्पोर्टस श्रेणी में बीटेक सीविल इंजीनियरिंग के विद्यार्थी अजय को तथा एनआईआएफ रैंकिंग श्रेणी में विश्वविद्यालय के फार्माश्यूटिकल
तथा हरियाणा स्कूल ऑफ बिजनेस विभाग के अतिरिक्त आईक्यूएसी को भी सम्मानित किया गया।
विश्वविद्यालय की डिजीटल प्रेजन्स तथा आइटरीज के लिए कोरपोरेट एकडेमिया सलाहकार डा. विमलझा को सम्मानित किया गया। इम्पैक्टफूल रिसर्च पब्लिकेशन्स के लिए प्रो. नीरज दिलबागी व शिखा जैन, प्रो. रविभाटिया व सोनम रानी, प्रो. मनीष आहुजा व रिम्पी पाहवा, प्रो. विनोद छोकर, प्रो. अनिल कुमार व स्वीटा सोनी, डा. ज्योति कटारिया व पूजा सोनी, डा. विक्रमजीत व स्मृति ठकराल, प्रो. कर्मपाल, प्रो. संजीव कुमार व शुभम गर्ग को सम्मानित किया गया। प्रो. वंदना पूनिया, डा. नरेंद्र चौहान तथा डा. पल्लवी की पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।