गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार (गुजविप्रौवि) के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा है कि पुस्तकालय केवल पुस्तकों का संग्रहालय नहीं, बल्कि किसी भी शिक्षण संस्थान का हृदय होते हैं। पुस्तकालय वह स्थान है, जहां जिज्ञासा को उत्तर मिलता है
और शोध का प्रथम चरण आकार लेता है। उन्होंने कहा कि पुस्तकालय में विद्यार्थी विचारक और समस्या समाधानकर्ता के रूप में विकसित होते हैं। वे विश्वविद्यालय के मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (एमएमटीटीसी) द्वारा आयोजित ‘लाइब्रेरी ऑटोमेशन एंडडिजिटलाइजेशन’ विषय पर दो साप्ताहिक रिफ्रेशर कोर्स के उद्घाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। कुलपति प्रो. बिश्नोई ने कहा कि वर्तमान डिजिटल युग में विद्यार्थी एक क्लिक पर उच्च गुणवत्ता वाले जर्नल व शोध पत्रों तक पहुंच चाहते हैं। ऐसे में पुस्तकालयों को समय के साथ डिजिटल रूप में ढलना अनिवार्य है। उन्होंने भारत सरकार की वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन योजना की सराहना करते हुए कहा कि इस पहल से देश के किसी भी कोने में पढ़ रहे विद्यार्थी को समान गुणवत्ता के डिजिटल संसाधन उपलब्ध हो सकेंगे। उन्होंने भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक डॉ. एस.आर. रंगनाथन को स्मरण करते हुए उनके पुस्तकालय विज्ञान के पांच मूल नियमों को आज भी प्रासंगिक बताया। उन्होंने प्रतिभागियों से आह्वान किया कि यह प्रशिक्षण न केवल उनके कौशल को बढ़ाएगा, बल्कि उन्हें नवाचार की दिशा में प्रेरित भी करेगा
मुख्य वक्ता डॉ. राजेश सिंह ने पुस्तकालयों की भूमिका को बताया महत्वपूर्ण
दिल्ली विश्वविद्यालय से आमंत्रित मुख्य वक्ता डॉ. राजेश सिंह ने पुस्तकालयों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि
शोध व शिक्षण में पुस्तकालय की भूमिका केंद्रीय है। उन्होंने बताया कि कैसे पुस्तकालय पेशेवर शोध कार्यों में योगदान देकर
अकादमिक क्षेत्र को समृद्ध कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पुस्तकालय तकनीकों में तेजी से परिवर्तन हो रहा है, और
पेशेवरों को देश-विदेश के पुस्तकालयों का अनुभव लेना चाहिए।
पुस्तकालय राष्ट्र निर्माण की नींव
एमएमटीटीसी की निदेशिका प्रो. सुनीता रानी ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि पुस्तकालय किसी राष्ट्र की अमूल्य धरोहर हैं। उन्होंने भारतीय वायुसेना और लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे पुस्तकालय
विद्यार्थियों को बेहतर नागरिक बनने में मार्गदर्शन करते हैं। उन्होंने कहा कि यह कोर्स प्रतिभागियों को नवीनतम तकनीकों की जानकारी देकर उन्हें भविष्य के लिए तैयार करेगा।
25 प्रतिभागी ले रहे हैं भाग
कार्यक्रम समन्वयक डॉ. नरेंद्र कुमार ने रिफ्रेशर कोर्स की गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस कोर्स में देशभर से 25 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम समन्वयक सोमदत्त ने किया। इस अवसर पर उपनिदेशक डॉ. हरदेव सिंह एवं डॉ. अनुराग सांगवान भी उपस्थित रहे।