हिसार नगर निगम चुनाव: भाजपा ने शकुंतला राजलीवाला और दयानंद सैनी का टिकट रद्द किया
हिसार में नगर निगम चुनाव को लेकर भाजपा में टिकट वितरण की चर्चाएं जोरों पर हैं। इसी बीच, भाजपा ने हिसार की पूर्व मेयर शकुंतला राजलीवाला और पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर दयानंद सैनी (डी.एन. सैनी) को बड़ा झटका दिया है। दोनों नेताओं ने मेयर पद के लिए टिकट का आवेदन किया था, जिसे पार्टी पर्यवेक्षकों ने तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिया। भाजपा की प्राथमिक सदस्यता खत्म
भाजपा पर्यवेक्षकों ने दोनों नेताओं की सक्रिय सदस्यता मानने से इनकार कर दिया, जिससे उनका आवेदन स्वतः रद्द हो गया। भाजपा की नियमावली के अनुसार, टिकट के लिए सक्रिय सदस्यता अनिवार्य होती है। पार्टी की सूची में दोनों नेताओं का नाम न होने के कारण न केवल उनका टिकट रद्द हुआ, बल्कि उनकी प्राथमिक सदस्यता भी समाप्त कर दी गई।
भाजपा का अनुशासन और गुटबाजी पर सख्त रुख
भाजपा ने यह फैसला संगठन की अनुशासनात्मक नीति के तहत लिया है, जिससे साफ संदेश मिलता है कि पार्टी किसी भी प्रकार की गुटबाजी या अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं करेगी। पार्टी सिर्फ उन्हीं नेताओं को टिकट देगी जो पूरी तरह भाजपा के प्रति निष्ठावान हैं । इस नीति से पहले थे नए दावेदार .
नए दावेदारों के लिए खुला रास्ता
इस घटनाक्रम के बाद, भाजपा से मेयर पद के लिए नए उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा तेज हो गई है। कई वरिष्ठ नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं ने टिकट के लिए आवेदन किया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा किसे उम्मीदवार बनाती है और यह फैसला आगामी चुनावों में पार्टी के लिए कितना फायदेमंद साबित होता है। भाजपा विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता
भाजपा विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता
सूत्रों के मुताबिक, पिछले विधानसभा चुनावों में शकुंतला राजलीवाला और दयानंद सैनी ने भाजपा उम्मीदवार का खुलकर विरोध किया था। बताया जाता है कि उनका हिसार की विधायक सावित्री जिंदल के साथ करीबी संबंध है और उन्होंने भाजपा के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ आजाद प्रत्याशी सावित्री जिंदल का समर्थन किया था। इसी कारण, भाजपा उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा था।
भाजपा के इस कदम से यह तो आ गया है कि पार्टी अपने अनुशासनहीन नेताओं को आगे बढ़ाने के पक्ष में नहीं है। इस रिजेक्शन का यह फैसला पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए कड़ा संदेश हो सकता है ताकि वे संगठन और विरोध दर्शकों के विरुद्ध ऐसी गतिविधियों का चालन करने से हाथ खींलें। इस बार देखना यह होगा कि भाजपा आगामी नगर निगम चुनावों में किस चेहरे को आगे बढ़ाती है और यह फैसला भाजपा के लिए कितना फायदेमंद साबित होता है।
भाजपा के इस सख्त निर्णय से न केवल पार्टी के भीतर अनुशासन मजबूत होगा, बल्कि नए चेहरों को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। यह फैसला हिसार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।