आर्द्र नक्षत्र के पावन अवसर पर श्री तिरुपति बालाजी धाम में रामानुज स्वामी का तिरुमंजन विधि विधान से किया गया। इस दौरान विधिपूर्वक पूजा व अर्चना की गई और रथ में स्थापित पालकी में सांकलन रामानुज स्वामी के विग्रह को पूरी श्रद्धा के साथ विराजमान किया गया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने पूरी निष्ठा के साथ रामानुज स्वामी की आराधना की और रथ को रस्सों से खींचकर धाम की परिक्रमा की। परिक्रमा करते हुए पूरा धाम जय तिरुपति बालाजी, जय भगवान वेंकटेश्वर और रामानुज स्वामी की जय से गूंज उठा। परिक्रमा के उपरांत सभी श्रद्धालुओं में सैंकड़ों गोंठी प्रसाद का वितरण किया गया।
आग्रोहा रोड पर लांडवा टोल प्लाजा के पास स्थित तिरुपति धाम में भगवान श्री वेंकटेश्वर जी, माता पद्मावती जी और माता गोदांबा जी के मुख्य मंदिर स्थापित किए गए हैं। धाम में ही रामानुज स्वामी का मंदिर भी शोभायमान है। दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित इन मंदिरों के प्रति श्रद्धालुओं की गहरी आस्था है। उल्लेखनीय है कि संत रामानुज स्वामी भगवान विष्णु के अनन्य उपासक रहे हैं। भक्तिमार्ग को अपनाकर उन्होंने समाज को नई दिशा दिखाई। रामानुज स्वामी ने एक दार्शनिक व विचारक के रूप में भी समाज के लिए काफी कार्य किया। दरअसल रामानुजाचार्य के रूप में प्रसिद्ध रामानुज स्वामी ने लोकजागरण के आधार भक्तों को ही माध्यम किया और भक्तिव के प्रचार-प्रसार के लिए व्यापक प्रयास किए। ज्ञान व भक्ति की गंगा बहाते हुए हिन्दू संस्कृति का पुनरस्थापन तथा सामाजिक जागरण का महान कार्य किया।
रामानुज स्वामी सवारी शोभा यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं ने तिरुपति धाम में स्थापित श्री वेंकटेश भगवान जी, श्री पद्मावती माता जी, श्री गोदांबा माता जी, श्री गरुड जी, श्री लक्ष्मी नृसिंह जी, श्री सुब्रमण्यम जी, श्री रामानुज स्वामी जी, श्री शंकोफ स्वामी, श्री वरवर मुनि जी एवं श्री हनुमान जी के मंदिरों के दर्शन किए। इनके साथ ही 42 फुट ऊंचे स्तंभ के श्री गरुड स्तंभ, बलिपीठम, श्री तिरुपति राजगोपाला, श्री पुष्करणी, विशाल घंटाघर एवं 71 फुट ऊंचे गोपुरम का भी भक्तों ने अवलोकन किया।