यदि आपके पास कृषि या इससे संबंधित कोई स्टार्टअप आइडिया है, तो चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार का एग्रीबिजनेस इंक्यूबेशन सेंटर (एबिक) उसे वास्तविकता में बदलने में आपकी मदद कर सकता है। भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के वित्तीय सहयोग से संचालित इस सेंटर के माध्यम से पात्र आवेदकों को 4 लाख से लेकर 25 लाख रुपये तक की अनुदान राशि प्रदान की जाएगी। इस संबंध में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने जानकारी देते हुए बताया कि इच्छुक उम्मीदवारों को 10 सितंबर, 2025 तक विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.hau.ac.in पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह निःशुल्क है। इस अवसर पर कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने एबिक कार्यक्रमों से संबंधित विवरण पुस्तिका का विमोचन किया। कार्यक्रम में अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग, प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ. राजेश गेरा, मीडिया एडवाइजर डॉ. संदीप आर्य, और एबिक के बिजनेस मैनेजर विक्रम सिंधु व राहुल दुहन भी मौजूद रहे।
चयन प्रक्रिया :
प्रो. काम्बोज ने बताया कि सभी आवेदनों की जांच विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और इंक्यूबेशन कमेटी द्वारा की जाएगी। चयनित आवेदकों को एक माह का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद भारत सरकार द्वारा गठित उच्चस्तरीय समिति के समक्ष आवेदकों को अपने आइडिया प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा। यदि आइडिया मंजूरी प्राप्त करता है, तो संबंधित स्टार्टअप को अनुदान राशि जारी की जाएगी। शिक्षा या आयु नहीं बनेगी बाधा । इस योजना की खास बात यह है कि इसके लिए शैक्षणिक योग्यता या आयु की कोई बाध्यता नहीं है। महिलाओं को 10 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान देने का प्रावधान भी किया गया है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें।
युवाओं को बनाएगा रोजगार देने वाला :
कुलपति ने कहा कि यह कार्यक्रम न केवल युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करेगा, बल्कि उन्हें दूसरों को भी रोजगार देने लायक बनाएगा। अब तक इस सेंटर के माध्यम से 73 स्टार्टअप्स को लगभग 9 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की जा चुकी है। इन स्टार्टअप्स का कारोबार करोड़ों रुपये तक पहुंच चुका है और वे कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।
कृषि क्षेत्र में नवाचार के अवसर :
प्रो. काम्बोज ने बताया कि इच्छुक छात्र, किसान, महिला और उद्यमी इस सेंटर के माध्यम से प्रोसेसिंग, मूल्य संवर्धन, पैकेजिंग, ब्रांडिंग और सेवाओं के क्षेत्र में व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। साथ ही उन्हें मार्केटिंग, नेटवर्किंग, लाइसेंसिंग, ट्रेडमार्क व पेटेंट जैसे पहलुओं की भी जानकारी दी जाएगी।
