फार्मेसी कॉलेजों के हितों की रक्षा और उनके समग्र विकास को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से फार्मेसी कॉलेज फेडरेशन ऑफ इंडिया का गठन किया गया। इस अवसर पर एक ऑनलाइन बैठक का आयोजन हुआ, जिसमें हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, ओडिशा, महाराष्ट्र, झारखंड सहित लगभग दो दर्जन से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस महत्वपूर्ण बैठक में फेडरेशन की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन किया गया, जिसमें सर्वसम्मति से हिसार स्थित मानव इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. सी.पी. गुप्ता को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। इसके साथ ही टी. जगन रेड्डी (तेलंगाना), वामु राज (कर्नाटक), रमेश सालुंके (महाराष्ट्र) और जितेन्द्र प्रधान खोला (उत्तराखंड) को उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। महासचिव के रूप में विनोद कुमार नैन (हरियाणा), मनोज कुमार भारती (उत्तर प्रदेश) और मनोज राउत (ओडिशा) को चुना गया, जबकि विशाल अग्रवाल (उत्तर प्रदेश) को कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई। फेडरेशन ने देशभर के विभिन्न राज्यों में क्षेत्रीय/सदस्य सदस्य भी नियुक्त किए हैं, जो संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत प्रदान करेंगे। बैठक में फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा लागू की गई एनपीएसयूआई (भारतीय गुणवत्ता परिषद) नीति को सर्वसम्मति से विरोध किया गया। इस नीति के तहत फार्मेसी कॉलेजों को मान्यता या नविनवीकरण के लिए एनपीएसयूआई से अनिवार्य निरीक्षण कराया जाएगा, जिसमें उन्हें अलग से भारी शुल्क देना पड़ेगा। फेडरेशन का कहना है कि नीति आर्थिक रूप से बौझिल है और इसकी प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव है।
डॉ. गुप्ता को कार्यवाई के लिए अधिकृत किया गया
सभी प्रतिनिधियों ने डॉ. सी.पी. गुप्ता को अध्यक्ष बनने पर बधाई दी और उन्हें एनपीएसयूआई नीति के विरोध में आवश्यक कदम उठाने हेतु अधिकृत किया। डॉ. गुप्ता ने विश्वास दिलाया कि यह फेडरेशन अखिल भारतीय स्तर पर फार्मेसी कॉलेजों के अधिकारियों और छात्रों के लिए निरंतर कार्य करती रहेगी।उन्होंने कहा कि एनपीएसयूआई नीति के खिलाफ एक संयुक्त रणनीति तैयार की जा रही है, जिसमें कानूनी व संवादात्मक तरीके अपनाए जाएंगे ताकि फार्मेसी क्षेत्र की ज्वलंत समस्याओं और नीतियों को सरकार, ब्यूरेक्रेसी व कोर्ट तक पहुंचाया जा सके। उन्होंने कहा कि यह संगठन फार्मेसी कॉलेजों से जुड़ी अन्य ज्वलंत समस्याओं जैसे सीटों की संख्या, बुनियादी ढांचे की आवश्यकताएं, नियमकीय पारदर्शिता और शुल्क संरचना आदि पर भी प्रभावी रूप से कार्य करेगा।
