बुजुर्गों की सेवा में जुटे मोक्ष वृद्धाश्रम में चल रही पांच दिवसीय श्रीरामकथा कथा विश्राम व पूर्णाहुति के साथ संपन्न हुई। तपोभूमि परमहंस योग आश्रम की बालयोगिनी साध्वी निष्ठानंद सरस्वती जी ने पांच दिनों तक श्रीराम के जीवन से जुड़े विभिन्न प्रसंगों का वर्णन करके आध्यात्मिकता का संचार कर दिया। उन्होंने शिव-पार्वती विवाह, श्रीराम जन्म, राक्षसों का संहार, श्रीराम- जानकी विवाह, वनगमन, भरत मिलाप, श्रीराम-रावण युद्ध और श्रीराम राज्याभिषेक सहित विभिन्न अध्यायों से साक्षात्कार करवाया। पूर्णाहुति के उपरांत सभी श्रद्धालुओं ने सात्विक लंगर प्रसाद भी ग्रहण किया। श्रीरामकथा के अंतिम दिन श्रीराम राज्यभिषेक व श्रीराम दरबार की झांकी निकाली गई। प्रभु श्रीराम,
माता सीता, भाई भरत, लक्ष्मण, शत्रघ्न व वीर हनुमान के प्रतिरूप बने बच्चों ने जब श्रीरामकथा स्थल पर प्रवेश किया तो पूरा पंडाल जय श्रीराम के उदघोष से गुंजायमान हो उठा। सभी श्रद्धालु व बुजुर्ग श्रीराम के दर्शन करते हुए झूमने व नाचने लगे। श्रीरामकथा के पांचवें दिन साध्वी निष्ठानंद सरस्वती जी ने सभी श्रद्धालुओं को श्रीराम की शिक्षाओं को आत्मसात करके उन पर अमल करने का आह्वान किया।
उन्होंने प्रवचनों में स्पष्ट किया प्रभु श्रीराम को भी मानव रूप में बहुत से कष्ट झेलने पड़े। जब साक्षात भगवान को भी बाधाओं का सामना करना पड़ा तो फिर साधारण मनुष्य की बिसात ही क्या है। इसलिए प्रतिकूलता आए तो घबराने और निराश होने की अपेक्षा प्रेम व हिम्मत से आगे बढि़ए। उन्होंने कहा कि प्रभु से यही मांगिए कि परिवार में प्रेम व शांति बनी रहे। उन्होंने कहा की सुख के बाद दुख और दुख के बाद सुख अवश्य आता है। न तो दुख स्थाई है और न ही सुख स्थाई है। साध्वी निष्ठानंद सरस्वती जी ने माता-पिता की सेवा का महत्व समझाते हुए कहा कि घर में माता-पिता भूखे हों तो सत्संग में भंडारा करने का कोई लाभ नहीं है। सबसे पहले परिजनों का सम्मान करना चाहिए फिर सत्संग का रुख करना चाहिए। उन्होंने कहा यदि किसी कारणवश गलती हो जाए तो उसे स्वीकार कर लेने से कमियां दूर हो जाती हैं। गलती स्वीकार न करने वाले इंसान का अहंकार बढ़ता जाता है और यही उसके पतन का कारण बनता है। श्रीरामकथा के दौरान भजनों के माध्यम से प्रभु श्रीराम की महिमा का गुणगान भी किया गया। घर आए युगल सरकार बधाई बाज रही, बस एक बार अपना तो बना लो वो तुम पर रीझ जाएगा पसीज जाएगा और नारायण-नारायण श्रीमन्ननारायण-नारायण भजन प्रस्तुत करके गायकों ने समां बांध दिया। इस अवसर पर मोक्ष वृद्धाश्रम की संरक्षक माता पंकज संधीर, प्रधान विजय भृगु, नारी नारायणी फाउंडेशन से पूनम नागपाल, पार्षद डॉ. सुमन यादव, योगदा संस्था से शबनम हंस, निधि चौधरी, कुसुम सिंगल, ओमप्रकाश गोयल व शशि गोयल सहित काफी गणमान्य लोग मौजूद रहे।
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