1500 से अधिक मेडिकल छात्रों ने लिया व्यावहारिक प्रशिक्षण
महाराजा अग्रसेन मेडिकल कॉलेज, अग्रोहा ने चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहल करते हुए आज से टी दो दिवसीय आपातकालीन चिकित्सा प्रशिक्षण सत्र की शुरुआत की। यह सत्र ओपी जिंदल सभागार और कॉलेज की कौशल प्रयोगशालाओं में आयोजित किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य मेडिकल छात्रों को कार्डियोपल्मोनरी पुनर्जीवन (सीपीआर) का व्यावहारिक प्रशिक्षण देना था।
कार्यक्रम के पहले दिन एमबीबीएस, नर्सिंग और पैरामेडिकल के कुल 1500 से अधिक छात्रों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। छात्रों को अनुभवी चिकित्सकों और प्रशिक्षकों की देखरेख में ग्रुप्स में बाँट कर सीपीआर की बुनियादी तकनीकों जैसे छाती संपीड़न, कृत्रिम श्वसन, और आपातकालीन स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया देने के तरीकों का अभ्यास कराया गया। इस प्रशिक्षण के लिए डमी मॉडल का उपयोग किया गया, न जिस पर छात्रों ने प्रत्यक्ष अभ्यास कर जरूरी कौशल हासिल किए।
कॉलेज के प्रशासनिक निदेशक डॉ. आशुतोष शमां ने इस अवसर पर कहा, ‘हमारा उद्देश्य छात्रों को केवल सैद्धांतिक ज्ञान देना नहीं, बल्कि उन्हें व्यवहारिक जीवन रक्षक तकनीकों में दक्ष बनाना भी है। सीपीआर जैसी तकनीकें हर स्वास्थ्य कर्मी के लिए अनिवार्य हैं, और इस प्रशिक्षण से हमारे छात्र भविष्य में अधिक आत्मविश्वास के साथ रोगियों की जान बचाने में सक्षम होंगे।’ प्रशिक्षण में भाग लेने वाले छात्रों ने इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि यह सीपीआर प्रशिक्षण की आवश्यकता सीपीआर प्रशिक्षण का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि कार्डियक अरेस्ट जैसी आपातकालीन स्थितियाँ किसी भी समय सामने आ सकती हैं। अगर समय रहते सही तरीके से सीपीआर दिया जाए तो मरीज के जीवित रहने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। मेडिकल छात्रों के लिए ऐसे प्रशिक्षण जीवन रक्षक
सीपीआर प्रशिक्षण की आवश्यकता
- कार्डियक अरेस्ट के लक्षणों की पहचान करना
- प्रभावी ढंग से छाती का संपीड़न करना
- कृत्रिम श्वसन देना
- आपातकालीन सेवाओं के आने तक मरीज को जीवित रखने के उपाय अपनाना