गुरुकुल धीरणवास एवं सार्वदेशिक आर्य युवक परिषद के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे युवा चरित्र निर्माण एवं योग शिविर में सोमवार को आयुर्वेद पर विशेष चर्चा हुई तथा वैदिक सिद्धांतों पर आधारित लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया। शिविर के दौरान बच्चों में वैदिक जीवन मूल्यों, आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति और शारीरिक प्रशिक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया गया। गुरुकुल के प्रवक्ता सत्यपाल अग्रवाल ने जानकारी दी कि नाड़ी वैद्य सत्यप्रकाश आर्य (संचालक – कायाकल्प संस्थान, रोहतक) ने ऑनलाइन माध्यम से शिविर को संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि आयुर्वेद केवल औषधि नहीं, बल्कि जीवन पद्धति और आहार विज्ञान है। यह रोगों का स्थायी समाधान प्रदान करता है और इसके कोई दुष्प्रभाव नहीं होते। उन्होंने बताया कि सामान्य मौसमी रोगों के लिए घरेलू आयुर्वेदिक उपायअधिक कारगर हैं। खांसी-जुकाम की स्थिति में हल्दी-चीनी या स्फटिक भस्म का प्रयोग, तथा नजला होने पर नाक में सरसों तेल या गाय के घी का उपयोग लाभकारी बताया।सार्वदेशिक आर्य युवक परिषद के प्रदेशाध्यक्ष दलबीर आर्य ने अपने उद्बोधन में कहा कि युवा देश की रीढ़ होते हैं और उनका चरित्रवान, नैतिक एवं राष्ट्रभक्त होना अत्यावश्यक है |
उन्होंने सभी प्रतिभागियों को योग को दैनिक जीवन में अपनाने का संकल्प भी दिलवाया। शिविर में आचार्य देवदत्त शास्त्री ने विद्यार्थियों को संध्या और यज्ञ का प्रशिक्षण दिया। आचार्य सहसरपाल आर्य और आचार्य गुलाब सिंह आर्य द्वारा योगासन, व्यायाम, जुडो-कराटे, तथा लाठी कला का अभ्यास करवाया गया। गुरुकुल के मुख्य अधिष्ठाता कैप्टन सूबे सिंह ने संपूर्ण प्रबंधन का संचालन किया। इस अवसर पर गुरुकुल मंत्री सत्यप्रकाश आर्य, सहायक मुख्यधिष्ठाता महेन्द्र आर्य, कार्यकारिणी सदस्य पूर्व सरपंच तेलूराम, जिला आर्य युवक परिषद उप प्रधान जयवीर आर्य, जोगेंद्र आर्य, विक्रम सिंह, अजय, प्रवेश, कुलदीप, सुनील शास्त्री, सत्यवान, मोहित शास्त्री, अशोक सहित अनेक आर्यजन उपस्थित रहे।