गुजविप्रौवि हिसार और कारस लैबोरेटरीज के बीच एमओयू – फार्मास्यूटिकल अनुसंधान और नवाचार को मिलेगा बढ़ावा
गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (गुजविप्रौवि), हिसार और कारस लैबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड, करनाल के बीच एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते का उद्देश्य फार्मास्यूटिकल अनुसंधान, प्रशिक्षण, प्लेसमेंट और नवीन दवा विकास को बढ़ावा देना है। इस एमओयू से विद्यार्थियों को औद्योगिक प्रशिक्षण और अनुसंधान कार्यों में प्रत्यक्ष भागीदारी का अवसर मिलेगा, जिससे उनका व्यावहारिक ज्ञान बढ़ेगा।
गुजविप्रौवि की ओर से कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई और कारस लैबोरेटरीज की ओर से प्रबंध निदेशक डॉ. अरुण पिलानी ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. विजय कुमार, डीन इंटरनेशनल अफेयर्स प्रो. नमिता सिंह, आरएंडडी हेड डॉ. सुनील शुक्ला और शिप्रा शुक्ला ने गवाह के रूप में हस्ताक्षर किए। इसके अलावा, प्रो. सुमित्रा सिंह, प्रो. सुनील शर्मा और प्रो. अर्चना कपूर भी उपस्थित रहे।
फार्मास्युटिकल उद्योग को मिलेगा बढ़ावाडॉ. अरुण पिलानी ने बताया कि कारस लैबोरेटरीज फार्मास्युटिकल अनुसंधान, परीक्षण और विनिर्माण के क्षेत्र में कार्यरत है। यह एमओयू दवा निर्माण, जैविक उपचार और नए अणुओं के डिजाइन के लिए शैक्षणिक और औद्योगिक सहयोग को मजबूती देगा। इस समझौते के माध्यम से छात्रों को दवा निर्माण की विभिन्न प्रक्रियाओं में अनुभव मिलेगा, जिससे वे इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना सकेंगे।
डीन इंटरनेशनल अफेयर्स प्रो. नमिता सिंह ने कहा कि इस समझौते के तहत विद्यार्थियों को प्रयोगशाला अनुसंधान से लेकर औद्योगिक पैमाने पर उत्पादन तक का व्यावहारिक अनुभव मिलेगा। इससे वे फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री में अपने करियर को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकेंगे।
शोध और नवाचार को मिलेगा बलकुलसचिव डॉ. विजय कुमार ने कहा कि इस साझेदारी से फार्मास्युटिकल अनुसंधान को मजबूती मिलेगी, जिससे दवा निर्माण और उपचारात्मक हस्तक्षेपों में महत्वपूर्ण नवाचार किए जा सकेंगे। इस समझौते से विश्वविद्यालय और उद्योग के बीच तालमेल बढ़ेगा, जिससे चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में नए अवसर सृजित होंगे।
गुजविप्रौवि और कारस लैबोरेटरीज का यह समझौता फार्मास्यूटिकल अनुसंधान, शिक्षा और उद्योग के बीच एक मजबूत पुल बनाने का कार्य करेगा। इससे न केवल विश्वविद्यालय के विद्यार्थी लाभान्वित होंगे, बल्कि स्वास्थ्य और चिकित्सा क्षेत्र में भी नए आयाम जुड़ेंगे।
