औषधीय पौधों की खेती के लिए किसानों को जागरूक करें वैज्ञानिक : प्रो. बी.आर. काम्बोज
• हकृवि में अश्वगंधा पर कार्यशाला आयोजितचौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय में अश्वगंधा दिवस के उपलक्ष्य में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। आनुवंशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग के औषधीय, सुगंधित एवं क्षमतावान फसल अनुभाग द्वारा ‘अश्वगंधा की खेती, संरक्षण एवं उपयोग’ विषय पर आयोजित इस कार्यक्रम में कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे।
कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने अपने सम्बोधन में कहा कि औषधीय पौधों की खेती की और बढ़ते रुझान के दृष्टिगत किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ प्रशिक्षण देने की भी जरूरत है। औषधीय फसलों की बढ़ती मांग को देखते हुए किसानों के लिए अश्वगंधा की खेती एक फायदेमंद विकल्प बनती जा रही है। अश्वगंधा को बहुत कम पौषक तत्वों की जरूरत होती है। कम पानी, कम लागत और बेहतर बाजार मूल्य के कारण यह फसल किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकती है। उन्होंने बताया कि किसान परंपरागत फसलों
कार्यक्रम में उपस्थित अधिकारी एवं कर्मचारी स्वास्थ्य के लिए रामबाण है अश्वगंधा कुलपति ने कहा कि आयुर्वेद, युनानी और एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति में भी अश्वगंधा का उपयोग बढ़ता जा रहा है। यह मानसिक तनाव, शारीरिक कमजोरी, हृदय रोग, मधुमेह और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में सहायक है। बाजार में अश्वगंधा की जड़ों, पाउडर, और कैप्सूल की बढ़ती मांग के कारण किसानों को अच्छा लाभ मिल सकता है। उन्होंने बताया कि किसान अश्वगंधा जैसी औषधीय फसलों की खेती करके और वैज्ञानिक तरीकों को अपना कर अपनी आमदनी में बढ़ोतरी कर सकते हैं।
उन्होंने अश्वगंधा के सुखाने की प्रक्रिया, भण्डारण तथा संरक्षण की तकनीक पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कार्यक्रम में आए हुए अधिकारियों, कर्मचारियों, किसानों और विद्यार्थियों को अश्वगंधा के पौधे देकर सम्मानित किया। के स्थान पर औषधीय पौधों की खेती करके अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। विश्वविद्यालय द्वारा अश्वगंधा की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। कार्यशाला में कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एस. के. पाहुजा ने सभी का स्वागत करते हुए बताया कि अश्वगंधा की खेती के लिए हल्की
दोमट एवं बलुई मिट्टी लाभदायक होती है। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा अश्वगंधा को लेकर किए जा रहे कार्यों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने कार्यक्रम में आए हुए सभी का धन्यवाद किया। डॉ. भूपेन्द्र ने मंच का संचालन किया। कार्यक्रम में रजिस्ट्रार डॉ. पवन कुमार, मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. राजेश गेरा, आनुवंशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग के अध्यक्ष डॉ. जीएस दहिया, औषधीय, सुगंधित एवं क्षमतावान फसल अनुभाग के अध्यक्ष डॉ. राजेश आर्य सहित विभिन्न महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, अधिकारी, वैज्ञानिक, कर्मचारी, किसान एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
