गुरु जम्बेश्वर विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार (गJUST) के कुलपति प्रो. नरेंद्र सिंह बिश्नोई ने कहा है कि हम गुरु और शिष्य के संबंधों को औपचारिकता से आध्यात्मिकता की ओर मोड़ें। शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ़ रोजगार और तकनीकी दक्षता को बढ़ाना नहीं है, बल्कि यह गुरु और शिष्य को उनके “प्रेरणा और साधना” का स्रोत भी बनाएं। प्रो. नरेंद्र सिंह बिश्नोई भारतीय शिक्षण मंडल एवं गुरुजनों की के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित “श्री व्यास पूजा” कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम में भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर मुख्य वक्ता थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में जी.जे.यू.एंडसी हिंदी विभाग के प्रो. उमेश सिंह रघुवंशी एवं महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रमोद शर्मा उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता जी.जे.यू.एस.टी. हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. संजीव भाटिया ने की।
प्रो. नरेंद्र सिंह बिश्नोई ने कहा कि जब हम अपने गुरुजनों को समर्पण करते हैं, तो हम उस ज्ञान, उस संस्कार, उस परंपरा को सम्मान देते हैं जो हमें दिशा देती है। उन्होंने कहा कि यह पूजा केवल एक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि एक आस्था और प्रेरणा का स्रोत है।
अपने उद्बोधन, शिक्षा पद्धति और दर्शन के माध्यम से एक विशेष स्थान बनाने वाले भारतीय शिक्षण मंडल के संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को भारतीयता की दिशा में ले जाने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि आज की शिक्षण व्यवस्था को भारतीयता के अनुरूप बनाना होगा जिससे संपूर्ण शिक्षा प्रणाली में भारतीय संस्कृति की झलक दिखे। उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षण पद्धति केवल ज्ञान नहीं बल्कि एक “जीवन दर्शन” प्रदान करती है, जिसमें गुरु का सम्मान और आशीर्वाद सर्वोपरि होता है। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को केवल नौकरी के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए तैयार करना होगा।
मुख्यवक्ता मुकुल कानिटकर ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय महान संत, विद्वान और ऋषि-मुनि हमारे जीवन का वह गौरवशाली अध्याय हैं जिन्हें हमें अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए। उन्होंने कहा कि गुरुकुल शिक्षा पद्धति आज भी आधुनिक शिक्षा से अधिक प्रभावी है, क्योंकि यह जीवन जीने की कला सिखाती है। उन्होंने कहा कि जब हम अपने गुरुजनों का सम्मान करते हैं, तो हम उस ऊर्जा को स्वीकारते हैं जो हमारे जीवन को दिशा देती है।
उन्होंने भारतीय शिक्षण मंडल के कार्यों की विस्तृत जानकारी दी। चरण पादुका पूजन, पुष्पार्पण, पगड़ी सम्मान, अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर गुरुजनों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर संगीत विभाग से विभागाध्यक्ष प्रो. जितेंद्र, रचना विभाग से प्रो. पिंकी सैनी, फार्मेसी विभाग से प्रो. विवेक कुमार, अप्लाइड साइंस से प्रो. संतोष, नैनो विभाग से प्रो. संदीप गुप्ता, साइंस विभाग से प्रो. सुनीता आदि सहित अनेक शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित रहे।
