हरियाणा में उत्पन्न जल संकट और पंजाब द्वारा भाखड़ा नहर का पानी रोके जाने के मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में शनिवार को एक अहम सर्वदलीय बैठक आयोजित की गई। मुख्यमंत्री निवास चंडीगढ़ में बुलाई गई इस बैठक में प्रदेश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के नेताओं नेहिस्सा लिया और एकजुटता के साथ हरियाणा के हितों की रक्षा का संकल्प दोहराया।
राजनीतिक मतभेद भुलाकर एक मंच पर आए नेता
बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, जननायक जनता पार्टी के दुष्यंत चौटाला, इनेलो के रामपाल माजरा,
आप से सुशील गुप्ता, बीएसपी से कृष्ण जमालपुर, सीपीआई(एम) से ओमप्रकाश और कई अन्य दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इसके अलावा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बडोली, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान सहित कई विधायक और पूर्व विधायक भी बैठक में मौजूद रहे। इस सर्वदलीय मंच पर सभी दलों ने मतभेद भुलाकर हरियाणा के हक के पानी को लेकर एकजुटता दिखाई।
संविधान और संघीय ढांचे की बात
बैठक में यह सहमति बनी कि जल बंटवारे जैसे विषयों पर राजनीति नहीं बल्कि नीति के आधार पर काम होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार इस मुद्दे को सर्वोच्च न्यायालय तक ले जाने के लिए भी तैयार है, अगर पंजाब की ओर से जल आपूर्ति को लेकर टकराव की स्थिति बनी रहती है।
जल नीति की ओर बढ़ते कदम
बैठक का एक महत्वपूर्णनिष्कर्षयह रहा कि हरियाणा जल्द ही एक ठोस और समन्वित जल नीति बनाएगा, जिसमें सिंचाई, पेयजल और औद्योगिक उपयोग के लिए जल प्रबंधन को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश होंगे। साथ ही अंतर्राज्यीय वार्ताओं और केंद्र सरकार सेहस्तक्षेप की
मांग को लेकर भी रणनीति तय की गई।
राजनीतिक एकता का सकारात्मकसंकेत :
हरियाणा की राजनीति में जब भी किसी संवेदनशील मुद्दे पर एकजुटता दिखती है, तो वह एक सकारात्मक संकेत होता है। जल संकट पर आयोजित यह सर्वदलीय बैठक इसी एकता का उदाहरण बनी। अब देखना होगा कि यह सामूहिक संकल्प ज़मीनी स्तर पर क्या प्रभाव डाल पाता है और क्या पंजाब सरकार अपने रुख में बदलाव लाती है या नहीं।
